कोई हमनफ़स नहीं है, कोई राज़दान नहीं है
फ़क़त एक दिल था अब तक, सो वो महेरबां नहीं है …
मेरी रूह की हक़ीक़त, मेरे आंसुओं से पूछो
मेरा मजलिसी तबस्सुम, मेरा तर्जुमान नहीं है …
किसी आँख को सदा दो, किसी ज़ुल्फ़ को पुकारो
बड़ी धुप पड़ रही है, कोई सायबां नहीं है ...
इन्हीं पथ्थरों पे चल कर अगर आ सको, तो आओ
मेरे घर के रास्ते में कोई कहकशां नहीं है ...
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