इन्हीं पथ्थरों पे चल कर अगर आ सको, तो आओ .. मेरे घर के रास्ते में कोई कहकशां नहीं है ...

किसी और ग़म में इतनी खलिशें निहां नहीं है
गमें दिल मेरे रफ़ीक़ो गमें राएगां नहीं है ...

कोई हमनफ़स नहीं है, कोई राज़दान नहीं है
फ़क़त एक दिल था अब तक, सो वो महेरबां नहीं है …

मेरी रूह की हक़ीक़त, मेरे आंसुओं से पूछो
मेरा मजलिसी तबस्सुम, मेरा तर्जुमान नहीं है …

किसी आँख को सदा दो, किसी ज़ुल्फ़ को पुकारो
बड़ी धुप पड़ रही है, कोई सायबां नहीं है ...

इन्हीं पथ्थरों पे चल कर अगर आ सको, तो आओ
मेरे घर के रास्ते में कोई कहकशां नहीं है ...
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