जो तार से निकली है वो धुन सबने सुनी है, जो साज़ पे गुज़री है वो किस दिल को पता है ...
बिख़र रहा हूँ तेरी तरह मैं भी, ए रद-ए-गुल,सो तुझ से पूछता हूँ, तेरा तजुर्बा क्या है॥
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